देवेन्द्र तिवारी सांची रायसेन
बरसात आते ही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे इससे रसोई का स्वाद मंहगा हो रहा है वैसे तो खाद्य पदार्थों मे पहले ही मंहगाई की मार पड रही थी अब बाकी कसर हरी सब्जियों के दामों ने पूरी कर दी ।अब लोगों को हरी सब्जियों का स्वाद भी मंहगा हो गया है ।
जानकारी के अनुसार पहले से ही खाद्य पदार्थों के दामों के दाम आसमान छू रहे थे जिससे लोगों पर मंहगाई का असर साफ दिखाई दे रहा था जो कसर बाकी रही वह अब हरी भरी सब्जियों के दामों ने आसमान छूकर पूरी कर दी इससे रसोई का हराभरा स्वाद भी मंहगाई के बोझ तले दब गया ।अब लोगों को सब्जियों का स्वाद लेने भी सोचने पर मजबूर कर दिया इससे न केवल पुरुषों पर भार पडता दिख रहा है बल्कि सीधा असर रसोई पर पडता दिखाई दे रहा है इससे महिलाओं को भी सोचने पर विवश कर दिया आखिर लोग क्या खायें क्या न खायें की तर्ज पर सोचने लगे हैं सरकारों का नियंत्रण पूरी तरह खत्म होता दिखाई दे रहा है मनमाने दामों पर खाद्य पदार्थों की बिक्री जारी है ।इस बढती मंहगाई से सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को तो सरकार मंहगाई भत्ता देकर पूर्ति कर देती है तथा अमीर आदमी पर इसका कोई प्रभाव पडता नही दिखाई देता परन्तु मजदूर वर्ग एवं विशेष रूप से मध्यम वर्ग इस बढती मंहगाई के बोझ तले दबता जा रहा है गरीब वर्ग को सरकार राशन एवं आवास सहित महिलाओं के लिये योजना चलाकर सहायता जुटा देती हैं परन्तु मध्यम वर्ग को न तो कोई योजना न ही कोई सरकार की राहत ही मिल पा रही है यह वर्ग मंहगाई की मार झेलने मजबूर हो चुका है ।खाद्य पदार्थों के दामों ने आसमान छूकर मंहगाई के बोझ तले दबा दिया अब जो कसर रही वह हरी सब्जियों के दामों ने आसमान छूकर पूरी कर दी अब लोग सब्जी खाने को भी तरसते दिखाई देने लगे हैं जो सब्जी बीस रुपए किलो हुआ करती थी वह अब अस्सी पर पहुंच गई हैं यहाँ तक कि रोजमर्रा की सब्जी आलू प्याज भिंडी लौकी करेला गिलकी कै दामों ने भी ऊंची उछाल मार दी है इसके साथ ही फल भी इस मंहगाई से अछूते नही दिखाई दे रहे हैं लगातार बढती मंहगाई के बोझ तले आम आदमी दबता जा रहा है परन्तु सरकारों का ध्यान इस बढती मंहगाई पर नही पहुंच पा रहा है जिससे लोग सरकारों को भी कोसते दिखाई देने लगे हैं इस बढती मंहगाई पर अंकुश लगाने न ही संबंधित विभाग ही सुध लेने की जहमत ही उठा पा रहे हैं ।