पिता के कहने पर शुरू किया था काम, लोगों को मिला रोजगार का अवसर
धीरज जॉनसन दमोह
कौशल संवर्धन औऱ विकास के इस समय में नित नए आयाम के साथ रोजगार की तलाश और लोगों के लिए आर्थिक मदद भी अब खोजी जाने लगी है जो आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे है और दूसरों को काम भी उपलब्ध करवाते है।
शहर से मात्र 8 किमी दूर हटा तहसील मार्ग पर ग्राम खजरी के सुरेश राठौर ने भी पिता के कहने पर महँगाई और फैशन के दौर में शहर औऱ गांवों में सस्ते दामों पर लोहे के पलंग पर उत्तम क्वालिटी की प्लाई लगाकर बेचने का काम तीन साल पहले शुरू किया, अब ऑर्डर ज्यादा होने के कारण दिन-रात काम करना पड़ता है। लोहे के पलंग सिर्फ तीन हजार पाँच सौ रुपए से चार हजार पांच सौ रुपये में एवं स्टील के पलंग छह से सात हजार के मध्य बनाकर लोगों के घर तक पहुंचाते है। सुरेश ने इस काम में पांच लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया है।
वर्तमान समय में लकड़ी की कम उपलब्धता और इसके महंगे हो जाने के कारण भी लोगों का रुझान लोहे से बनी सामग्री की ओर जाने लगा है इससे लघु उद्योग को भी बढ़ावा मिलता है व युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिलते है।
सुरेश बताते है कि इंदौर से काम सीखा फिर पिता के कहने के बाद बैंक से लोन लेकर यहां काम शुरू किया।
एक दिन में करीब 6 पलंग बन जाते है इन सबके लिए कच्चा माल दमोह-जबलपुर से खरीद कर लाते है।वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के समय पिछले साल इन्होंने करीब 400 पलंग बेचे थे और इस वर्ष जनवरी से अब तक 150 पलंग बेच चुके है,सस्ते और मजबूत होने के कारण इनकी डिमांड भी बढ़ गई है। शहर के साथ-साथ अभी वे करीब 20 गांवों में ऑटो से पलंग ले जाते है पर ऑटो रिक्शा से पलंग पहुंचाने का किराया लोगों से नहीं लेते है, भविष्य में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा कर इस काम को विस्तार देने का विचार भी कर रहे है।
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन