गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव भी कहा जाता है. एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. यह उत्सव भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है, जो एक पूजनीय हिंदू देवता हैं, जिन्हें ज्ञान, धन और नई शुरुआत के देवता और भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है. भारत के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा राज्यों में, भगवान गणेश को नई शुरुआत के प्रतीक, बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है.
भगवान गणेश को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे – गजानन, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड, सिद्धि विनायक आदि. ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी का पर्व ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है. 10 दिनों तक चलने वाले उत्सव को मनाने के लिए विशाल गणेश मूर्तियाँ बनाई जाती हैं और सुंदर पंडाल सजाए जाते हैं. त्योहार के आखिरी दिन अनंत चतुर्दशी पर, जिसे गणेश विसर्जन दिवस के रूप में भी जाना जाता है, इस दिन ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकाले जाते हैं और पारंपरिक रूप से गणपति मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है.
हाल ही के वर्षों मे त्योहार के पर्यावरणीय प्रभाव, विशेष रूप से गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों से बनी मूर्तियों के विसर्जन के बारे में जागरूकता बढ़ रही है. मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करके और जल प्रदूषण को कम करके पर्यावरण-अनुकूल उत्सवों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है.
चूंकि गणेश चतुर्थी 2023 नजदीक है और देश भर में भक्त त्योहार की तैयारी शुरू कर चुके हैं, शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि में हुआ था. वर्तमान समय में, गणेश चतुर्थी आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर में आती है.
2023 में गणेश चतुर्थी का 10 दिवसीय त्योहार मंगलवार, 19 सितंबर, 2023 से शुरू होने जा रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विनायक चतुर्दशी 2023, 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगी और 19 सितंबर को शाम 8:43 पर समाप्त होगी.
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले गणेशी जी वंदना और पूजा की जाती है. भगवान गणेश बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन पर अगर आप घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करने जा रहे है तो दोपहर के शुभ मुहूर्त में करना होता है. गणेश चतुर्थी तिथि लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा उपासना किया जाता है. गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
गणेश चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा
– सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करें.
– उसके बाद गणेश जी की तांबे या फिर मिट्टी की प्रतिमा लें.
– फिर एक कलश में जल भर लें और उसके मुंह को नए से वस्त्र बांध दें. इसके बाद उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान करें.
– गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा, घी चढ़ाएं और 21 मोदक का भोग लगाकर विधिवत पूजा करें.
– अंत में लडडुओं का प्रसाद ग़रीबों और ब्राह्मणों को बांट दें.
– दस दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी के इस त्योहार पर आप गणेश जी की मूर्ति को एक, तीन, पांच, सात और नौ दिनों के लिए घर पर रख सकते हैं.
गणेश चतुर्थी के दिन क्यों निषेध है चंद्र दर्शन
ऐसी माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति के ऊपर मिथ्या कलंक यानि बिना किसी वजह से व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप लगता है. पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन किया था, जिसकी वजह से उन्हें भी मिथ्या का शिकार होना पड़ा था. गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को लेकर एक और पौराणिक मत है जिसके अनुसार इस चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था. इस वजह से ही चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को निषेध माना गया।
19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर रवि योग सुबह 06 बजकर 08 मिनट से बन रहा है और यह दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा. गणेश चतुर्थी की पूजा आप रवि योग में करेंगे. रवि योग एक शुभ योग माना जाता है.
गणेश चतुर्थी 2023 का पूजा मुहूर्त क्या है?
गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 01 मिनट से हो रहा है. उस दिन दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक पूजा मुहूर्त है. इस समय में गणेश जी की स्थापना करके विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.
गणेश चतुर्थी 2023 के शुभ समय
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरूआत: 18 सितंबर, 12:39 पी एम सेभाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि की समाप्ति: 19 सितंबर, 01:43 पी एम परस्वाती नक्षत्र: 19 सितंबर, सुबह से दोपहर 01:48 पी एम तक, फिर विशाखा नक्षत्रअभिजित मुहूर्त: 11:50 ए एम से देापहर 12:39 पी एम तक