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भोपाल के अन्ना नगर में अन्य प्रदेशों से आए रहवासियों ने की थी मां दुर्गा-शिव मंदिर की स्थापना

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भोपाल। भेल अन्ना नगर चौराहे के पास स्थित मां दुर्गा-शिव मंदिर स्थानीय रहवासियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। पहले मंदिर एक चबूतरे पर शिवजी विराजित थे। इसके बाद स्थानीय रहवासियों के सहयोग मंदिर बनाया गया। इसके बाद मंदिर में हर दिन आरती होने लगी। इनदिनों सावन सोमवार पर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। सावन महीने के चलते हर दिन सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे और शाम पांच से रात नौ बजे तक मंदिर में शिवजी की पूजा-अर्चना करने स्थानीय लोग आ रहे हैं। शिवजी की आरती के बाद प्रसादी का वितरण किया जाता है।

यह है मंदिर का इतिहास

60 के दशक में भेल कारखाना बना। इसमें काम करने देश के अलग-अलग राज्यों से लोग आए। भेल में नौकरी करने के साथ ही मजदूर वर्ग के लोग अन्ना नगर में बस गए। सभी लोग मिलकर वर्ष 1974 से शारदेय नवरात्रि में झांकी बैठाना शुरू की दी। वर्ष-1975 में मां दुर्गा का मंदिर स्वर्गीय किशनलाल सोनकर, स्वर्गीय बलदेव प्रसाद प्रजापति, सरजू प्रसाद पाल, बंगाली बाबू, गणपति, कंधा स्वामी ने मंदिर निर्माण सहयोग किया। इसके बाद स्थानीय रहवासियों के सहयोग से 1990 के दशक में शिवजी की स्थापना की गई।

यह है मंदिर की विशेषता

मंदिर की प्रमुख विशेषता यह है कि एक छोटी सी मढ़िया में शिवजी को स्थापित किया गया है। इसमें एक-एक करके लोग शिवजी की पूजा-अर्चना करने जाते हैं। सावन सोमवार पर श्रद्धालुओं की भीड़ होने से स्थानीय लोगों की मदद से मंदिर के बाहर लोगों की बैठने की व्यवस्था की जाती है। शिवजी को गुलाब, सेवंती, गेंदा, बेलपत्र, धतूरा अर्पित किया जाता है। शाम तक शिवजी पर चढ़ाई गई सामग्री को संभाल कर रखकर तालाब में विसर्जित कराया जाता है, ताकि शिवजी पर चढ़ाए गए फूलों पर किसी के पैर न पड़े।

महिलाएं करती हैं भजन

मंदिर में सभी तीज-त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। सावन सोमवार को महिलाएं भजन करने आती हैं। मंदिर के बाहर ढोलक, मंजीरे बजा कर शिवजी के भजन गाए जाते हैं। चारों तफ हर-हर महादेव के जयकारे सुनाई देते हैं।

-उल्लास सोनकर, सेवक

देखते ही बनती है विद्युत साज-सज्जा

मंदिर प्रांगण में शारदेय, चैत्र नवरात्र, महाशिवरात्रि और सावन माह में विद्युत साज-सज्जा की जाती है। रंग-बिरंगी लाइटों से मंदिर जगमग हो जाता है। चौराहे से आते-जाते लोग दूर से शिवजी व मातारानी के हाथ जोड़ कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।

-लक्ष्मी नारायण प्रजापति, सेवक

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