बिलासपुर। सनातन धर्म में प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसे वरद चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने का विधान है। इस बार 21 जुलाई को चतुर्थी तिथि है। इसलिए बेहद खास है, क्योंकि ये सावन के अधिक मास की चतुर्थी तिथि है। भक्त इस दिन गणपति की आराधना में लीन रहेंगे।
रेलवे कंस्ट्रक्शन कालोनी स्थित श्री सुमुख गणेश मंदिर और रतनपुर श्री सिद्धिविनायक मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होगी। सावन अधिक मास विनायक चतुर्थी में कई शुभ संयोग भी बन रहा है। श्री सुमुख गणेश मंदिर के सदस्य आनंद रमन का कहना है कि विनायक चतुर्थी पर यहां दक्षिण भारतीय परंपरा अनुसार पूजा होती है। शाम को महाआरती होगी।
पूजन विधि को लेकर पंडित रमेश तिवारी का कहना है कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का विधिवत संकल्प लें। बिना संकल्प के व्रत-पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिलता। संकल्प लेने के लिए हाथ में पानी, चावल और फूल लेकर अपनी मनोकामना मन ही मन कहें और व्रत पूर्ण करने के लिए श्रीगणेश से आशीर्वाद मांगें। बताए गए किसी मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। उसके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा को माला पहनाएं और तिलक लगाएं। एक-एक करके दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चढ़ाते रहें। पूजा करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। अंत में अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें। शाम को जब चंद्रमा उदय हो जाए तो जल से अर्घ्य दें और पूजा करने के बाद ही स्वयं भोजन करें।
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