एनालिटिक्स फर्म Kpler के डाटा से यह खुलासा हुआ है। बता दें कि भारत के रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों पर यूरोप की निर्भरता, रूसी तेल पर प्रतिबंध के बाद बढ़ी है। जहां यूरोप, भारत के पेट्रोलियम उत्पादों का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है, वहीं दूसरी तरफ भारत, रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है। इस तरह प्रतिबंधों के बावजूद रूस को इसका फायदा मिल रहा है।यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं। जिसकी वजह से वह रूस का कच्चा तेल नहीं खरीद रहे हैं। वहीं यूरोप की मार्केट के बंद होने के बाद रूस उसके कच्चे तेल की खरीद पर भारी छूट दे रहा है। यही वजह है कि भारत रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। आकंड़ों के मुताबिक भारत फिलहाल रूस से 3,60,000 बैरल तेल की रोजाना खरीद कर रहा है। रूस के अलावा भारत सऊदी अरब और इराक से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीद रहा है।
फरवरी में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया था। फरवरी में भारत ने रूस से 3.35 बिलियन यूएस डॉलर का कच्चा तेल खरीदा और सऊदी अरब से 2.30 बिलियन यूएस डॉलर का। फिलहाल भारत अपनी जरूरत का 44 प्रतिशत तेल रूस से खरीद रहा है।प्रतिबंधों के चलते यूरोपीय यूनियन के देश रूस से सस्ता कच्चा तेल नहीं खरीद पा रहे हैं। एक तरफ तो वह महंगाई से जूझ रहे हैं, दूसरा उन्हें रिफाइंड पेट्रोल उत्पाद आयात करने पड़ रहे हैं। यूरोप में कई रिफाइनरी हैं लेकिन फिलहाल कच्चे तेल की कमी के चलते उन्हें अपना उत्पादन बंद करना पड़ा है। वहीं भारत में भी कई सरकारी और निजी रिफाइनरी कंपनियां हैं, जो कच्चे तेल को रिफाइंड करके अपने रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों को यूरोप के बाजार में सप्लाई कर रही हैं।
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