जबलपुर। कलेक्टर जबलपुर ने शहर के बड़े व्यावसाई, बिल्डर एवं होटल ऋषि रीजेंसी के संचालक एवं अन्य के विरुद्ध आदेश पारित किया है। आदेश के मुताबिक संबंधित पक्षकारों की करीब सवा तीन एकड़ (1.3 हेक्टेयर) भूमि को शासन के नाम दर्ज करने के लिए कहा गया है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि तहसीलदार न्यायालय गोरखपुर से शुरू हुआ यह प्रकरण संभागीय अतिरिक्त कमिश्नर, हाइकोर्ट की चौखट से होता हुआ कलेक्टर कोर्ट से निर्णीत हुआ। कलेक्टर ने गोरखपुर तहसीलदार को आदेशित किया है कि संदर्भित भूमि को शासन के नाम पर दर्ज किया जाए।
यह था मामलाः
प्रकरण के मुताबिक 12 जून 2003 को तहसीलदार गोरखपुर ने घस मद की भूमि को बिना किसी स़क्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त किए निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिया था। इस भूमि के बटांक आशा यादव और आशीष यादव के नाम पर कर दिए गए थे। इसी भूमि को आशा यादव और आशीष से टेक्नोक्रेट डेवलपर्स एंड बिल्डर्स के पार्टनर एमएस गुजराल एवं इंद्रनील गुजराल ने खरीद कर अपने नाम करवा लिया था। इसे लेकर तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जबलपुर की ओर से 2007-08 में पुनरीक्षण के लिए प्रकरण बनाकर तत्कालीन कलेक्टर संजय दुबे की न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिस पर कलेक्टर ने सभी पक्षों की सुनवाई के उपरांत 25 अप्रैल 2008 को सभी बटांकों को रद कर उपरोक्त भूमि शासन के नाम पर दर्ज करने के आदेश दे दिए।
कमिश्नरी से बिल्डर के पक्ष में आदेशः
कलेक्टर के उस आदेश को बिल्डर एवं आशा यादव व आशीष यादव की ओर से संभागीय आयुक्त न्यायालय में चुनौती दी गई, जहां अतिरिक्त कमिश्नर ने 26 जुलाई 2018 को कलेक्टर कोर्ट का 25 अप्रैल 2008 का आदेश निरस्त कर दिया और तहसीलदार गोरखपुर के पुराने आदेश को ही प्रभावी घोषित कर दिया।
शासन की ओर से हाईकोर्ट में पिटीशनः
अतिरिक्त कमिश्नर कोर्ट के फैसले के विरोध में शासन की ओर से कलेक्टर जबलपुर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जिस पर कोर्ट ने कलेक्टर के पक्ष को मजबूत माना। इसी दौरान बिल्डर एवं अन्य अन्यवेदकों की ओर से मामले की पुन: सुनवाई के लिए निवेदन किया गया, जिस पर हाईकोर्ट ने 29 नवंबर 2022 को अतिरिक्त कमिश्नर और तहसीलदार के आदेश के खारिज करते कलेक्टर को फिर से मामले की सुनवाई के लिए आदेशित किया।
कलेक्टर कोर्ट का ताजा फैसलाः
30 नवंबर 2022 को टेक्नाक्रेट डेवलपर्स एंड बिल्डर्स के एसएस गुजराल और इंद्रनील गुजराल की ओर से कलेक्टर जबलपुर की न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया गया। जिसपर राजस्व अभिलेखों के अवलोकन, अधिकारियों के बयान एवं आवेदकाें की ओर से रखे गए तर्काें के बाद कलेक्टर कोर्ट ने प्रश्नाधीन भूमि का क्रय-विक्रय नियम विरूद्ध माना। अपने ताजा आदेश में कलेक्टर न्यायालय ने अंधुआ की 1.3 हेक्टेयर भूमि शासन के नाम पर करने के आदेश दे दिए। इसमें अंधुआ के खसरा नं. 141/1, 141/2, 141/3 की क्रमश: .10, .40 और .80 हेक्टेयर भूमि शामिल है।
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