वातावरण में बढ़ता प्रदूषण निश्चित की चिंता का विषय है। फेफड़ों का कैंसर, ह्दय संबंधी बीमारियां, सीओपीडी, अस्थमा, निमोनिया, त्वचा संबंधी रोग, स्ट्रोक, घरेलू वायु प्रदूषण से मोतियाबिंद, आंखों में जलन, खांसी समेत कुछ अन्य व्याधियों के लिए प्रदूषण भी जिम्मेदार है। कुछ मामलों में संतानहीनता का कारण भी प्रदूषण बनता है। जनसंख्या वृद्धि व पेड़ों की कटाई से प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। औद्योगिक इकाइयों से हानिकारक तत्व हवा में न घुलें, इसके लिए बेहतर उपाय करना चाहिए। ऐसे स्थान जहां वायु प्रदूषण करने वाले कारक मौजूद हैं वहां आंखों में जलन, खांसी आना तथा फेफड़ों में जकड़न आम समस्या के रूप में सामने आती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी सांस फूलने लगती है। दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया वाहन चालकों काे भी चाहिए वे अपने वाहनों की समय-समय पर जांच कराते रहें ताकि उनसे होने वाले वायु प्रदूषण को रोका जा सके।
आम नागरिकों को अपने बच्चों को स्कूल, कालेज तक आवागमन के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह कारगर उपाय है। समूचे विश्व में प्रदूषण को लेकर चिंता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए काफी हद तक हम स्वयं जिम्मेदार हैं। इसलिए आवश्यक है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं। प्रत्येक नागरिक को पौधारोपण का संकल्प लेना चाहिए। रोपे गए पौधों में कीटनाशकों का प्रयोग करने से बचना चाहिए। यह भी प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसी तरह फसलों को तैयार करने में भी रासायनिक खाद के इस्तेमाल से बचना चाहिए। प्रदूषण की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अच्छी पहल की है। वे रोजाना पौधारोपण करते हैं। जिले के नागरिक संकल्प लें कि वे वर्ष में कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएंगे, यह प्रयास प्रदूषण की रोकथाम में कारगर भूमिका निभाएगा।
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