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पिछले कई दिनों से तहसील प्रांगण में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी आशा उषा कार्यकर्ता

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देवेश पाण्डेय सिलवानी रायसेन

रायसेन जिले के सिलवानी तहसील के प्रांगण में आशा उषा कार्यकर्ता काफी दिनों से धरने पर बैठी है लेकिन शासन-प्रशासन उनके आंदोलन पर ध्यान नहीं दे रहा है ना ही जनप्रतिनिधि उनकी बात को सुन रहे हैं आशा उषा कार्यकर्ता 17 वर्षों से आंदोलन रत
हैं लेकिन उन्हें 2000 से ₹3000 भी देना उचित नहीं समझा सरकार ने..?
जिला अध्यक्ष बबीता पाल् से चर्चा हुई तो उन्होंने अपना दर्द बयां कर दिया और कहा एक बार हमसे हमारे शिवराज मामा बात तो कर ले लेकिन उन्होंने हमसे बात करने योग्य ही नहीं समझा हम 2 वर्षों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं वैसे तो इस आंदोलन को पूरे 17 वर्ष हो गए लेकिन अभी 2 वर्ष से लगातार आंदोलन चल रहा है हमारी जो महत्वपूर्ण तीन मांगे हैं उन पर ध्यान दे लिया जाए तो सरकार की बड़ी मेहरबानी होगी एक तो स्थाई वेतन स्थाई नौकरी और स्थाई सुविधाएं दीजाएं।
पंच सरपंच विधायक सांसद सबकी वेतन 17 साल में 3 गुना हो चुके हैं लेकिन हमारा 2000 से 3000 नहीं हुआ है उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम लोग अब काफी तंग आ गए हैं हमारे भी बच्चे हैं हम अगर गांव में रहते हैं तो क्या हमारे बच्चे पढ़ेंगे नहीं क्या भोजन नहीं करेंगे क्या हम को तेल साबुन नहीं लगता क्या हमारी कोई जरूरत ही नहीं है आखिर हमारे प्रति सरकार का क्या सोच है।
बबीता पाल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि जब जब भी जहां जहां कार्यक्रम होते हैं आशा उषा कार्यकर्ताओं को आधी रात में बुला लिया जाता है छतरपुर, जबलपुर ,भोपाल, सागर इंदौर जहां भी बड़ी बड़ी सभाएं हुई है वहां पर हम लोगों को ले जाया जाता है और उसके बदले में आज तक हमारे बारे में जरा भी नहीं सोचा है।
कोरोना काल में हमारे लिए मास्क भी उपलब्ध नहीं था हम लोग हमारी साड़ी से मुंह पर बांध करके या रुमाल को मुंह बांधकर के हम लोगों ने काम किया है अधिकारी सीधा आर्डर जमा देते थे कि आप इनका बीपी चेक करिए ऑक्सीजन चेक करिए हम लोगों ने जान पर खेलकर के कोरोना काल में जनता की सेवा की उसका मुख्य कारण है उसी जनता के बीच में हम लोग रात दिन रहते हैं हमारे भाई-बहनों के लिए हमने कभी काम करने की ना नहीं की और हमने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया लेकिन सरकार अपने कर्तव्य को भूल गई है।
आंदोलनकारी महिलाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमें कहीं दुर्गा का रूप धारण तो नहीं करना पड़ेगा या हमें कहीं काली का रूप तो धारण नहीं करना पड़ेगा या हमको झांसी की रानी तो नहीं बनना पड़ेगा क्योंकि अट्ठारह सौ सत्तावन से आज बहुत बुरी हालत है मध्यप्रदेश की सरकार एक तरफ लाडली बहना योजना ला रही है और दूसरी तरफ बहनों से बात करने की सरकार जहमत नहीं जुटा पा रही है।
उन्होंने सरकार के बारे में स्पष्ट रूप से कहा कि हम महिलाओं के वजह से मध्यप्रदेश में सरकार बनी है अगर उमा भारती हमारे सामने नहीं आती तो यह सरकार बनती नहीं और अभी हम लोगों की बदौलत यह सरकार चल रही है जिस दिन हमारी नजरें तिरछी हो गई तो समझ लीजिए क्या होगा यह वक्त बताएगा।

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