Let’s travel together.

फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य होते है बर्जित

0 496

फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। हालांकि इन आठ दिनों तक कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते लेकिन देवी देवता की आराधना क लिए यह बहुत ही शुभकारी दिन माने जाते हैं।

17 फरवरी से फाल्गुन मास का आरंभ हो जाएगा। इसी मास में रंगों का पर्व होली भी मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व मनाया जाता है। लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। हालांकि इन आठ दिनों तक कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते लेकिन देवी देवता की आराधना क लिए यह बहुत ही शुभकारी दिन माने जाते हैं। आइए जानते हैं कब से लग रहा होलाष्टक और इस दौरान किन कार्यों को करने की होती है मनाही।

होलाष्टक 10 मार्च 2022, गुरुवार से लेकर 17 मार्च 2022, गुरुवार तक रहेगा। मान्यता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना अपशकुन होता है। होलाष्टक से होली और होलिका दहन की तैयारी शुरु हो जाती है।

होलाष्टक के आठ दिनों को शुभ कार्य नहीं करने के पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने के कारण फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि पर क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था। अन्य कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर पाने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए इन आठ दिनों में कठिन यातनाएं दी थीं।  इसलिए होलाष्टक काल को विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समारोह आदि जैसे शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना जाता है।

फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है।  होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।  चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिये जाते हैं। यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है। एक मान्यता अनुसार किसी भी नविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए।

एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है। होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है। इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

जिला न्यायालय सहित तहसील न्यायालयों में 14 दिसम्बर को लगेगी नेशनल लोक अदालत     |     ठंड से बचाव हेतु प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था के निर्देश     |     आमजन को जागरूक करने प्रधान जिला न्यायाधीश श्री सोहाने ने प्रचार वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया     |     रायसेन के ब्लॉक में कांग्रेस की हुई बैठक, 16 दिसम्बर को करेंगे विधानसभा घेराव     |     ठंड के चलते स्कूलों के समय में परिवर्तन, सुबह 9 बजे के बाद ही खुलेंगे स्कूल     |     उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल से अमेरिका की जानी मानी वैज्ञानिक और कैंसर रिसर्चर डॉ. पल्लवी तिवारी ने की सौजन्य भेंट     |     पल्स पोलियो अभियान के विशेष चरण में 36 लाख 74 हज़ार बच्चों को पिलाई गयी पोलियो ड्रॉप     |     मध्यप्रदेश का लक्ष्य: सशक्त स्वास्थ्य सेवाओं से स्वस्थ और समृद्ध समाज का निर्माण -राजेन्द्र शुक्ल उप मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश     |     करोड़ों की लागत से निर्मित राधा भवन महेंद्रा कौशल अकादमी ग्रामीणों को समर्पित     |     श्रीमद भगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करे सरकार पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811