भोपाल। महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी की सड़क और इमारत में मध्य प्रदेश की राख उपयोग हो रही है। मध्य प्रदेश के ताप विद्युत गृह में जले हुए कोयले की राख का इस्तेमाल हो रहा है। पहली बार प्रदेश से राख को मालगाड़ी में भेजा गया है। पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश से 80 हजार टन के आसपास राख महाराष्ट्र के मुबंई और पुणे के भेजी गई है। बिजली कंपनी नए साल के पहले माह में एक लाख बीस हजार टन राख और देश के अलग-अलग इलाकों में भेजने की उम्मीद जाहिर कर रहा है। बिजली कंपनी को मालगाड़ी से राख भेजना सड़क मार्ग से सस्ता पड़ रहा है। अभी करीब 145 रुपये टन ट्रेन में खर्च आ रहा है जबकि सड़क पर ये खर्च 400 रुपये टन होता है।
सारनी के सतपुड़ा थर्मल पावर हाउस और खंडवा के सिंगाजी थर्मल पावर हाउस से मालगाडिय़ों के जरिए यह राख मुंबई भेजी जा रही है। सारनी पावर हाउस से 4000 मीट्रिक टन राख की एक खेप हाल ही में पुणे होती हुई मुंबई भेजी गई है। मप्र पावर जनरेशन कंपनी के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह ने कहा कि पर्यावरण के लिहाजा से ताप गृह से निकलन ेवाली राख का शत प्रतिशत निष्पादन होना आवश्यक है। यदि निष्पादन नहीं हुआ तो हजार रुपये प्रति टन की दर से जुर्माना लगाया जाता है। इस वजह से राख का निष्पादन करने का प्रयास हो रहा है। उनके अनुसार राख का इस्तेमाल ब्रिक्स बनाने सीमेंट कंपनी भवन और सड़क निर्माण के लिए होता है। अभी मुबंई के अलावा कुछ जगह मालगाड़ी से करीब 20 रैक सप्लाई किया जा चुका है। अभी इन दोनों थर्मल पावर हाउस की राख से मुंबई में सड़कों के निर्माण का काम हो रहा है। साथ ही यह राख सीमेंट फैक्ट्रियों में भी सप्लाई की जा रही है।
यहां इतना राख निकल रही-
श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह खंडवा- 10 हजार टन प्रतिदिन
सारणी ताप विद्युत गृह- 2500 टन प्रतिदिन
बिरसिंहपुर ताप विद्युत गृह- आठ हजार टन प्रतिदिन
अमरकंटक ताप विद्युत गृह- 700 टन प्रतिदिन
खर्च –
ट्रेन मार्ग- 145 रुपये प्रति टन
सड़क मार्ग- 400 रुपये प्रति टन
ट्रेन के एक रैक में करीब चार हजार टन राख आती है। जनवरी माह में बिजली कंपनी करीब 30 रैक और सप्लाई करेगी।
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