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रायसेन में बच्चों के धर्मांतरण का मामला बना मज़ाक

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महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ने अपने ही विभाग के उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल.
राष्ट्रीय बाल आयोग की टिप्पणी एवं मीडिया रिपोर्ट पर भी खड़े किए सवाल…

विजय सिंह राठौर,रायसेन

रायसेन- मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में बच्चों के धर्मांतरण जैसे संवेदनशील विषय को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो की टिप्पणी के बाद रायसेन जिले के महिला बाल विकास विभाग के अक्षम अधिकारी उक्त मामले में संवेदनशीलता से कार्रवाई कर मानवीयता प्रकट करने की जगह अपने ही विभाग के अधिकारियों की पोल खोल रहे हैं।

जी हां रायसेन जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक संचालक संजय गहरवाल ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को चिट्ठी लिखकर खुद को ‘आईसीपीएस’ बाल संरक्षण योजना से अलग करने की गुहार लगाई है। चिट्ठी में सहायक संचालक ने साफ शब्दों में लिखा है कि राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के दौरे के समय मौजूद विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उक्त बच्चों के बारे में स्पष्ट और सटीक जानकारी नहीं दे पाए जिसके कारण विभाग के साथ-साथ रायसेन जिले की छवि उक्त मामले में मीडिया रिपोर्ट्स के कारण धूमिल हुई है। जिससे वह काफी आहत हैं और खुद को अपमानित और मानसिक रूप से पीड़ित महसूस कर रहे हैं। ।
अब सवाल यह उठता है कि क्या राष्ट्रीय बाल आयोग को सही जानकारी रायसेन का महिला एवं बाल विकास विभाग नहीं दे पाया या फिर रायसेन बाल कल्याण समिति ने राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष को गलत जानकारी दी? मामला बच्चों के पुनर्वास एवं उनके धर्मांतरण से लेकर जुड़ा था इसलिए यह मुद्दा राष्ट्रीय खबर बन गया लेकिन इस पूरे मामले में प्रदेश में संचालित चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति और महिला एवं बाल विकास विभाग के बीच समन्वय और तालमेल की पोल खोल कर रख दी हैं।

जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की सख्त हिदायत के बाद भी इस संवेदनशील मामले की जांच अब ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। जबकि इधर रायसेन बाल कल्याण समिति ने उक्त बच्चों के असली पिता को दमोह जिले से बुलाकर उनको सौंपने की कार्यवाही शुरू कर दी है। लेकिन बच्चों के आधार कार्ड मुस्लिम नामों से कैसे बन गए इस पर किसी प्रकार की कोई जांच कहीं नहीं हो रही। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग दीपक संपत ने आज बताया कि उन्हें अभी तक उक्त मामले की जांच के संदर्भ में किसी प्रकार की कोई पत्र नहीं मिला है। जबकि राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के निर्देश पर गोदी शिशु ग्रह गोहरगंज के तमाम रिकॉर्ड विजिटर बुक आदि वह जप्त कर रायसेन ले आए थे। जो अभी उनके दफ्तर में रखे हुए हैं।

वह सुलगते सवाल जिनका जबाब मांग रही हैं जनता..!!

1- विभागीय उदासीनता का उक्त घटना सबसे बड़ा उदाहरण है की 3 साल पहले भोपाल में जब यह तीन मासूम बच्चे मिले तो इनके नाम सर्वप्रथम सीडब्ल्यूसी को किसने नोट कराएं ?

2- बच्चों को भोपाल सीडब्ल्यूसी ने रायसेन सीडब्ल्यूसी को क्यों सौंपा जबकि बच्चे दमोह जिले के रहने वाले थे..?

3- तमाम सरकारी फंडिंग से संचालित रायसेन जिले का एकमात्र गोदी शिशु ग्रह गोहरगंज मैं 3 साल से यह बच्चे रह रहे हैं लेकिन अभी तक उक्त मामले में वहां विजिट करने वाले किसी भी जिम्मेदार की इतने अहम मुद्दे पर नजर क्यों नहीं गई।

4- बाल कल्याण समिति की देखरेख में संचालित उक्त शिशु ग्रह के संचालन एवं निगरानी के लिए शासन के 21 विभाग तैनात किए गए हैं लेकिन इसके बाद भी इतनी बड़ी चूक सब की नजर से कैसे बच गई।

5- महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उक्त मामले की हकीकत ना तो राष्ट्रीय बाल आयोग के सामने रख पाए और ना जनता के सामने और अब चिट्ठी लिखकर मामले का पटाक्षेप करने की कोशिश कि जा रही हैं।

6- उक्त संवेदनशील मामले में अभी तक जिला प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की सख्ती नजर नहीं आई है। जबकि बाल विकास विभाग के अधिकारी आपस में एक दूसरे पर लांछन लगा रहे हैं।

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