–मानदेय राशि बहुत कम होने पर जताई चिंता, सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम भेजा ज्ञापन
-सीटू मंडीदीप के बैनर तले किया जा रहा आंदोलन
शिवलाल यादव रायसेन
आशा, ऊषा, आशा सहयेागी संयुक्त मोर्चा द्वारा मुख्यमंत्री के नाम 16 सूत्रीय ज्ञापन भेज दिया गया है।ज्ञापन का वाचन संगठन की जिलाध्यक्ष सीमा ठाकुर ने किया। सभी कार्यकर्ताएं सोमवार 14 नवंबर से सीएमएचओ कार्यालय के समक्ष सड़क किनारे 7 दिवसीय हड़ताल पर बैठ गई हैं।
इनकी मांग है कि मध्य प्रदेश की अधिकांश आशाएं अभी भी मात्र दो हजार रुपए के अल्प वेतन में गुजारा करने के लिए विवश हैं। यह धरना मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।यह राशि भी केंद्र सरकार द्वारा देय हैं। जबकि आंध्रप्रदेश सरकार अपनी ओर से 8,000 मिलाकर आशा को 10,000 रुपए का मानदेय देते हैं। तेलंगाना में राज्य सरकार 7,500 रुपए मिलाकर 9,500 रुपए देते हैं। इसी तरह केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित सभी राज्य सरकारें आशा उषा और सहयोगिनियों एवं पर्यवेक्षकों को अपनी ओर से अतिरिक्त मानदेय दे रही हैं। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की शिवराज सरकार ने आशा एवं पर्यवेक्षक को अपनी ओर से विगत 15 वर्षों से कुछ भी नहीं दिया।आशाओं में से सहयोगी बनाकर प्रशिक्षण देकर आशाओं के काम का पर्यवेक्षण करने वाला आशा सहयोगियों को 2021 में पर्यवेक्षक का पद नाम दिया। पर्यवेक्षकों को दिए जा रहे यह वेतन सरकार के न्यूनतम वेतन में अकुशल
श्रमिक के न्यूनतम वेतन की दर से भी कम है।यह न तो व्यावहारिक है और न ही तर्कसंगत है। लगातार बढ़ रही महंगाई के चलते आशा एवं पर्यवेक्षकों को मिल रहे वेतन का औसत मूल्य लगातार घट रहा है और साथ ही जीवन के स्तर में भी गिरावट जारी है। मिशन संचालक के प्रस्ताव को लागू कर आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार और पर्यवेक्षकों को 15 हजार निश्चित वेतन दिया जाए।उसे उपभोक्ता सूचकांक से जोड़ा जाए।आशा कार्यकर्ताओं से निर्धारित कार्य के अलावा अन्य बेगारी काम नहीं कराए जाएं।जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में सुरक्षित और सर्व सुविधायुक्तआशा रूम बनाए जाएं।बगैर किसी जांच के आशा कार्यकर्ताओं की सेवा समाप्ति पर रोक लगाई जाए।इसके बाद भी सरकार आशा एवं पर्यवेक्षकों के वेतन वृद्धि की मांग को लगातार नजर अंदाज करें, तो यह प्रदेश की आशा एवं पर्यवेक्षकों के लिये अत्यंत गम्भीर चिंता का विषय है।