देवेश पाण्डेय सिलवानी रायसेन
हिंदू धर्म में आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस साल 9 अक्टूबर के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है.
सिलवानी के शास्त्री अभिषेक जी के मुताबिक हिंदू धर्म में आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस साल 9 अक्टूबर के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की सुंदर छवि सामने आती है. साल में सिर्फ शरद पूर्णिमा के ही दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस दिन चंद्रमा प्रकृति के प्रत्येक प्राणी और वस्तु को सकारात्मक ऊर्जा से भर आगे बढ़ाने में सहयोग करता है.
धरती के करीब होता है चंद्रमा:
ऐसी मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है. पूर्णिमा की रात चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है और इसी दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी, भगवान श्रीकृष्ण और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी का विशेष प्रभाव माना जाता है.
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 9 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर सुबह 2 बजकर 25 मिनट तक
चंद्रोदय का समय 9 अक्टूबर शाम 5 बजकर 58 मिनट
चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है खीर:
प्राचीन मान्यता में शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाई जाती है. दूध, चावल, चीनी, बुरा, मखाने आदि से बनी के खीर को शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है. रातभर चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. इस खीर प्रसाद को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, लोग स्वस्थ रहते हैं. विशेषकर मानसिक रोगों में क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है.
कई रोगों से मिलता है छुटकारा:
यह खीर दमे के रोगी को खिलाई जाए तो उसे आराम मिलता है. इससे रोगी को सांस और कफ के कारण होने वाली तकलीफों में कमी आती है और तेजी से स्वास्थ्य लाभ होता है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी से चर्म रोगों और आंखों की तकलीफों से ग्रसित रोगियों को लाभ मिलता है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी में बैठने और खीर खाकर स्वस्थ व्यक्ति भी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता और आंखों की रोशनी बढ़ा सकता है.
धरती पर अमृत होती है मां लक्ष्मी:
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की निर्मल किरणों पर बैठकर मां लक्ष्मी धरती पर अवतरित होती हैं. जिन भक्तों के घर में शुद्धता साफ सफाई और मन में निर्मलता होती है. उसके यहां मां लक्ष्मी दिवाली तक स्थाई निवास करते हैं. जिस घर में मां लक्ष्मी स्थाई निवास करती हैं, उस घर में साल भर धन धान्य बना रहता है.
घर में आती है सुख समृद्धि: शरद पूर्णिमा त्रेता युग का त्योहार है. रावण जी इस रात्रि को शीशे से चंद्रमा की किरणों को केंद्रित करके अपनी नाभि पर डालता था. कहा जाता है कि ऐसा करने से आयु बढ़ती है, सुख समृद्धि कदम चूमती है.