सुनील सोन्हिया द्वारा लिया गया साक्षात्कार
यदि अभिनेता अपने अभिनय पर सावधानी से ध्यान रखता रहे तो वह न दर्शकों को प्रभावित कर सकता है और न रंगमंच पर किसी भी प्रकार की रचानात्मक सृष्टि कर सकता है, क्योंकि उसे अपने आंतरिक स्वात्म पर जो प्रतिबिंब प्रस्तुत करते हैं उनपर एकाग्र होने के बदले वह अपने बाह्य स्वात्म पर एकाग्र हो जाता है जिससे वह इतना अधिक आत्मचेतन हो जाता है कि उसकी अपनी कल्पना शक्ति नष्ट हो जाती है। अत:, श्रेष्ठतर उपाय यह है कि वह कल्पना के आश्रय पर अभिनय करे, नवनिर्माण करे, नयापन लाए और केवल अपने जीवन के अनुभवों का अनुकरण या प्रतिरूपण न करे। जब कोई अभिनेता किसी भूमिका का अभिनय करते हुए अपनी स्वयं की उत्पादित कल्पना के विश्व में विचरण करने लगता है उस समय उसे न तो अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए, न नियंत्रण रखना चाहिए और न तो वह ऐसा कर ही सकता है, क्योंकि अभिनेता की अपनी भावना से उद्भूत और उसकी आज्ञा के अनुसार काम करनेवाली कल्पना अभिनय के समय उसके आवेग और अभिनय को नियंत्रित करती, पथ दिखलाती और संचालन करती है। यह कहना है वरिष्ठ रंगकर्मी एवं अभिनेत्री मायरा दयाल का ,पिछले 5 वर्ष से लगातार थिएटर वेब सीरीज, टीवी सीरियल एवं फिल्मों में अपनी सक्रियता को बरकरार रखने वाली मायरा दयाल से हमारे सांस्कृतिक प्रतिनिधि सुनील सोन्हिया ने विस्तृत चर्चा की।
एक्टिंग की तरफ रुझान कैसे हुआ
मुझे बचपन से ही अभिनय का शौक था घर में जब मेहमान आते से तो उनकी हुबहू एक्टिंग करके घर वालो को दिखाती थी जिस पर खुश होकर हमारी दादी 25 पैसे का सिक्का दिया करती थी तब से मेरे अंदर एक्टिंग का करने का जुनून पैदा हो गया फिर स्कूल कॉलेज घर के फंक्शन में छोटे-मोटे नाटक करने लगी इस अभिनय क्षेत्र में रुझान बढ़ा।
अभी फिलहाल आप क्या कर रहे हैं और आपने पूर्व में क्या काम किया है
अभी कुछ दिन पूर्व ही महारानी 2 वेब सीरीज में काम किया है इसके पूर्व मौका ए वारदात ,घोड़ी पर होकर सवार ,क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया शॉर्ट मूवी अंतर्द्वंद , शक की सुई फिल्म शुक्र दोष, जुर्म और जज्बात ,हनक वेब सीरीज में भी काम किया है राजकुमार संतोषी की फिल्म गांधी वर्सेस गोडसे से में भी अभिनय करने का मौका मिला वही विकास दुबे एनकाउंटर फिल्म भी की ,इसके आलावा सेव वाटर डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी की।
वर्तमान में वेब सीरीज में आपत्तिजनक दृश्य एवं गालियों का ज्यादा प्रयोग हो रहा है इस बारे में आपके क्या विचार है
ऐसा नहीं है कि सभी वेब सीरीज में इस तरह के सीन और गालियां हैं अच्छी वेब सीरीज भी बन रही हैं इसका ज्वलंत उदाहरण पंचायत वेब सीरीज है जिसके दो पार्ट आ चुके हैं जिसे अवॉर्ड भी मिला है जिनमें ना आपत्तिजनक सीन है ना ही गालियां वैसे मेरे ख्याल से वेब सीरीज भी सेंसर बोर्ड के दायरे में आना चाहिए लेकीन वेब सीरीज के फायदे भी हैं इंडस्ट्री में कलाकारों की भरमार है और फिल्में 400-500 ही बनती है जिनमें से ढाई सौ से 300फिल्म ही रिलीज हो पाती है वेब सीरीज बनने से हम सभी कलाकारों को काम करने का मौका मिलने लगा है ओटीटी प्लेटफॉर्म आ जाने से कलाकारों के पास काम करने की अवसर बढ़ गए हैं
युवा निर्देशकों के बारे में कुछ कहना चाहेंगे
पिछले वर्ष मैंने युवा निर्देशक शुभम यादव के साथ एक शॉर्ट मूवी “शक की सुई” की थी , युवाओं की सोच में अंतर होता है वे नए नए प्रयोग करते हैं शक की सुई को वरिष्ठ अभिनेता सुनील सोन्हिया ने लिखा है एक सिंपल स्टोरी को शुभम ने क्रिएट कर रोचक हास्य में परिवर्तित किया साथ ही साथ मूवी में गाना भी डाला ,युवाओं के अंदर कुछ नया करने का जज्बा होता है उनके साथ काम करना अच्छा लगा वैसे सीनियर निर्देशकों के पास अनुभव ज्यादा होता है अच्छे से काम करा लेते हैं मुझे तो दोनों के साथ काम करना अच्छा लगता है।
अभी हाल ही में भोपाल में शूट की गई कुछ बड़ी फिल्मों के कोऑर्डिनेटर ने कलाकारों को मेहनताना नहीं दिया इस बारे में आपका क्या विचार है
मेरे साथ तो कभी ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हुई कि मुझे कभी पेमेंट ना मिला हो पर कलाकारों को एग्रीमेंट जरूर बनवाना चाहिए मैं एक घटना बताना चाहूंगी जिसे हमारी वरिष्ठ अभिनेत्री मीनू सिंह ने बताया था मीनू जी को फिल्म सेल्फी में काम करने हेतु बुलाया गया था उनका सिलेक्शन भी हुआ पर जब पेमेंट की बात आईतो कितना देंगे और कब देंगे पर कोऑर्डिनेटर न नुकर करने लगा तब मीनू जी ने एग्रीमेंट पर जोर दिया लेकिन जब एग्रीमेंट नहीं बनाया तो उन्होंने फिल्म छोड़ दी ऐसा सभी कलाकारों को करना पड़ेगा।
थियेटर, फिल्म ,सीरियल में आपको सबसे अच्छा जोनर कौन सा लगता है
मुझे थियेटर करना ज्यादा अच्छा लगता है पिछले 2 साल से करोना के चलते थियेटर की गतिविधियां लगभग बंद ही थी अब मैं जल्दी ही एक प्ले करने वाली हूं जिसमें मेरा लीड रोल है पूर्व में डॉक्टर आजम खान के निर्देशन में हाय हैंडसम प्ले किया था जिसे बहुत सराहना मिली थी
नए कलाकारों को क्या संदेश देना चाहेंगे
भोपाल फिल्म इंडस्ट्री के लिए पसंदीदा जगह बन गया है बड़े-बड़े कलाकार यहां शूटिंग कर रहे हैं बड़े-बड़े प्रोडक्शन भोपाल आ रहे हैं भोपाल के युवा कलाकारों के लिए अवसर है अपनी कला को दिखाने के लिए उन्हें थियेटर एवं वर्कशॉप करना चाहिए ताकि वे अपनी कमियों को सुधार कर अभिनय कर सकें
कलाकारों को फ़िल्म ऑडिशन की जानकारी एवं शोषण से बचने के लिए क्या करना चाहिए
बड़े ही गर्व से सूचित करना चाहूंगी कि मध्यप्रदेश में सिने वर्कर्स यूनियन का गठन हो चुका है प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर आर के दादोरिया जी नेतृत्व में मै संगठन में पदाधिकारी के रूप में कार्य कर रही हूं सभी उभरते कलाकार एवं वरिष्ठ कलाकारों से अनुरोध है कि वे इस संगठन को ज्वाइन करें ताकि उन्हें फिल्म टीवी सीरियल वेब सीरीज की ऑडिशन की जानकारी मिल सके तथा उनके साथ हो रहे शोषण से भी मुक्ति पा सकें