–कोलारस में अवैध कालोनाईजर्स पर प्राथमिकी में हीलाहवाली जारी
संजय बेचैन शिवपुरी
सरकार की मंशानुसार भू माफिया ओं पर कार्रवाई को लेकर जहां प्रशासन एफ आईआर के आदेश जारी कर रहा है, वहीं पुलिस महकमा केस दर्ज करने में जबर्दस्त आनाकानी कर रहा है। यह स्थिति कोलारस अनु विभाग में विशेष रुप से दिखाई दे रही है, जहां लगातार क्रम में जमीन सम्बंधी दूसरा ऐसा प्रकरण सामने आया है जिसमें एडीएम कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस थाना कोलारस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में पर्याप्त हीला हवाली की जा रही है। यह स्थिति जनचर्चा का विषय बनी हुई है।
– निकली म्याद नहीं दर्ज हुआ केस
अवैध कॉलोनाइजेशन के यह दोनों ही प्रकरण शिवपुरी निवासी महेंद्र गोयल से संबंधित हैं। उल्लेखनीय है कि 31 मई 2022 को कलेक्टर कार्यालय से आदेश क्रमांक 0055/1074 /2020 21-2022 /563 जारी हुआ जिसमें अपर कलेक्टर न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए धारा 339 (जी) के तहत कॉलोनाइजर महेंद्र गोयल पुत्र राम जी दास गोयल निवासी सदर बाजार शिवपुरी के विरुद्ध पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए गए थे। महेंद्र गोयल निवासी शिवपुरी द्वारा कोलारस के नगरीय क्षेत्र अंतर्गत सर्वे क्रमांक 52 /3 पर अवैध कॉलोनी काटने का प्रकरण एडीएम न्यायालय ने सिद्ध पाया और इन के विरुद्ध मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339 (ग) के तहत एफ आई आर दर्ज करने तथा 89.52 लाख का जुर्माना भी आरोपित करने संबंधी आदेश जारी किया गया था। यह एफ आई आर मुख्य नगरपालिका अधिकारी कोलारस को थाना कोलारस में सात दिवस के भीतर दर्ज कराना थी और इसका पालन प्रतिवेदन एडीएम न्यायालय को भिजवाया जाना था। आज स्थिति यह है कि 7 दिन से भी अधिक समय हो गया मगर इस मामले में अभी तक कोलारस पुलिस ने एफ आई आर दर्ज करने संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की है। सीएमओ कोलारस का कहना है कि वह सभी दस्तावेज कोलारस थाना पुलिस को सौंप चुके हैं बावजूद इसके अभी तक अवैध कॉलोनाइजर महेंद्र गोयल के विरुद्ध कोई केस रजिस्टर नहीं किया गया है।
–पूर्व में भी दिखाई थी हीलाहवाली-
यहां बता दें कि इससे पूर्व भी गत मई माह में महेंद्र गोयल के ही पुत्र अनुज गोयल पर कोलारस में अवैध कॉलोनाइजेशन का आरोप सिद्ध पाए जाने के बाद एडीएम द्वारा 164.8 लाख का जुर्माना और पुलिस प्राथमिकी के आदेश दिए गए थे लेकिन इस प्रकरण में भी पुलिस ने तमाम हीला हवाली की और बड़ी जद्दोजहद के बाद यह केस दर्ज हो सका था। पुलिस और प्रशासन के बीच अवैध कॉलोनाईजेशन को लेकर इस तरह का विरोधाभास और कार्रवाई के स्तर पर पुलिस की दरियादिली जन चर्चा का विषय बना हुआ है।