सुनील सोन्हिया की रिपोर्ट
भोपाल। बिट्टन मार्केट में 31 जनवरी से 9 फरवरी तक चल रहे ओजस्विनी बसंत महोत्सव मेले में देशभर से आए कारीगरों और बुनकरों ने अपनी अनूठी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मेले में पारंपरिक हस्तशिल्प, बुनाई, कढ़ाई, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी और अन्य हस्तनिर्मित उत्पादों की भरमार देखने को मिली।
मुरादाबाद, दिल्ली राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम और दक्षिण भारत से आए बुनकरों ने अपने पारंपरिक कपड़ों और डिजाइनों को प्रदर्शित किया। बनारसी, चंदेरी, महेश्वरी और तुषार सिल्क की साड़ियों के साथ-साथ, कश्मीर से आए पश्मीना शॉल और उत्तर-पूर्वी राज्यों की हस्तनिर्मित बांस और बेंत की वस्तुओं ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
मेले में मौजूद मुरादाबाद की कारीगर तलत यानी ने अपनी कला के बारे में बताया कि कपड़ों पर जरी वर्क जिसे आरी वर्क कहा जाता है जिसे एक कपड़े में करने में दो दिन लगते हैं मुरादाबाद के ही एक कारीगर अनीश ने कहा, “हम पीढ़ियों से हस्तशिल्प बना रहे हैं, लेकिन ऐसे मेलों से हमें नई पहचान और ग्राहकों तक पहुंचने का मौका मिलता है।”
बुनकरों का कहना है कि इस तरह के आयोजन पारंपरिक कलाओं को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें सीधा बाजार उपलब्ध कराते हैं।
मेले में बड़ी संख्या में लोग आए और कारीगरों द्वारा तैयार किए गए हस्तनिर्मित वस्त्र, आभूषण, घरेलू सजावट और अन्य उत्पाद खरीदे।