मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
सर्वार्थसिद्धि, रवियोग, राजयोग, ध्रुवयोग सहित अन्य विशेष योग संयोगों में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा बुधवार को शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं से धरती पर अमृत वर्षा की। ठाकुरजी को पात्र में खीर का भोग लगाया गया। चंद्रमा की रोशनी में औषधीय खीर रखी गई। मंदिरों में भी शरदोत्सव के तहत भगवान के समक्ष खीर का भोग लगाकर वितरण किया गया।
ठाकुर जी को पोशाक धारण कराकर सफेद पुष्पों से श्रृंगार किया गया। अयोध्या धाम मंदिर अंबाडी ,पुराने गुरुद्वारा मंदिर दीवानगंज में मंदिरों में दूध की खीर का भोग लगाया गया। बाद में सभी श्रद्धालुओं को खीर बाटी गई।
कहा जाता है कि अस्थमा रोगियों के लिए यह खीर एक औषधि के समान है। विभिन्न संस्थाओं की ओर से भी कार्यक्रम हुए। चंद्रमा की रोशनी औषधीय गुणों से भरपूर रहती हैं। इसमें खीर पकाने की परंपरा है, जिससे खीर में औषधीय गुण आते हैं। खीर की मिठास से हमें ग्लूकोज मिलता है, जिससे तुरंत एनर्जी मिलती है। चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक बढ़ाने की क्षमता होती है, इससे विषाणु दूर रहते हैं। गाय के दूध से बनी खीर का सेवन करना बहुत लाभदायक है। क्योंकि खीर में दूध, चीनी और चावल के कारक चंद्रमा है। ऐसी खीर खाने से चंद्रमा का दोष दूर होता है।
जानकारी के मुताबिक शरद पूर्णिमा को महारास की रात भी कहते हैं। किवंदति है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने इस रात में गोपियों के साथ महारास किया था। इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा, जागरी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरुड़ पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। यह वर्ष की 12 पूर्णिमा तिथियों में सबसे विशेष मानी जाती है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जिसे अमृत काल भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है।