तपती धूप में पागल बाबा के तप को देखने पहुंच रहे हजारों श्रद्धालु
अनुराग शर्मा
सीहोर। शहर के गंज स्थित राठौर पार्क में जारी राठौर क्षत्रिय समाज द्वारा निर्मित श्रीराम जानकी मंदिर में श्री राम दरबार एवं श्री शिव परविार की प्राण-प्रतिष्ठा के महोत्सव में जिले भर में अपनी तप की साधना के लिए प्रसिद्ध पागल बाबा खुशहाली और शांति के लिए विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। नंगे बदन तपती धूप में रत पर बैठ कर धूनी रमाए अपना शरीर तपा रहे हैं। जिनको देखने और सीताराम की मधुर धून का श्रवण करने के लिए हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है।
शनिवार को सुबह साढ़े सात बजे शहर के गंज स्थित राठौर पार्क में बड़ी संख्या में जोड़ों के द्वारा यज्ञाचार्य पंडित महादेव शर्मा के मार्ग दर्शन में पूर्ण-विधि विधान से देव पूजन एवं विग्रह का पत्र पुष्प फलादिवास था अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष रुद्रप्रकाश राठौर ने बताया कि क्षेत्र की सुख समृद्धि की कामना को लेकर निर्मित श्रीराम जानकी मंदिर में श्री राम दरबार एवं श्री शिव परविार की प्राण-प्रतिष्ठा के महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को संतों के दर्शन हो रहे है, वहीं पहले ही दिन से सबकी खुशहाली के लिए पागल बाबा तपती धूप में रेत पर तप कर रहे है। उन्होंने बताया कि अब रविवार को देवपूजन एवं विग्रह का मिष्ठान,घृत शकररादिवास किया जाएगा। सोमवार को देवपूजन एवं विग्रह का हिरण्यद्रव्य महास्नान शैयादिवास किया जाएगा। मंगलवार को देवपूजन एवं पूर्णाहुति विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा महाआरती की जाएगी।
शनिवार को देव पूजन एवं विग्रह का पत्र पुष्प फलादिवास था अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में बताते हुए यज्ञाचार्य पंडित श्री शर्मा ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व सभी देवों की आराधना की जाती है। निराकार ब्रह्म के साकार रूप हैं पंचदेव परब्रह्म परमात्मा निराकार व अशरीरी है, अत: साधारण मनुष्यों के लिए उसके स्वरूप का ज्ञान असंभव है। इसलिए निराकार ब्रह्म ने अपने साकार रूप में पांच देवों को उपासना के लिए निश्चित किया जिन्हें पंचदेव कहते हैं। ये पंचदेव हैं—विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य और शक्ति। सूर्य, गणेश, देवी, रुद्र और विष्णु—ये पांच देव सब कामों में पूजने योग्य हैं, जो श्रद्धा विश्वास के साथ इनकी आराधना करते हैं वे कभी हीन नहीं होते, उनके यश-पुण्य और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती हैं। वेद-पुराणों में पंचदेवों की उपासना को महाफलदायी और आवश्यक बताया गया है, इनकी सेवा से परब्रह्मा परमात्मा की उपासना हो जाती है।