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जौनपुर सीट पर अब होगा खेला! धनंजय के बाहर आने से बदलेगा समीकरण

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बाहुबली नेता धनंजय सिंह को जमानत मिलने के साथ ही जौनपुर लोकसभा सीट के चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल जाएंगे. माना जा रहा है कि जौनपुर की जेल में रहते हुए भी उनका इस चुनाव पर उनका पूरा होल्ड था और इसी होल्ड को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने उन्हें जौनपुर से हटाने और अतिसुरक्षित बरेली जेल में शिफ्ट करने की योजना बनाई. इस योजना के तहत शनिवार की सुबह उन्हें जौनपुर से बरेली स्थानांतरित भी कर दिया गया, लेकिन अभी बरेली की जेल में उनकी आमद भी नहीं हुई कि हाईकोर्ट का फैसला आ गया.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में भले ही धनंजय सिंह की सजा रद्द करने से मना कर दिया है, लेकिन उन्हें जमानत दे दी है. इधर, धनंजय सिंह की जमानत मिलने की खबर से ही जौनपुर की हवा बदल गई है. खासतौर पर उनके समर्थक, जो अभी तक थोड़े मायूस थे, उनकी खुशी देखने लायक है. धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी भी काफी राहत की सांस ले रही हैं. बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरीं श्रीकला रेड्डी अब तक वह अकेले दम पर चुनावी समीकरणों को साधने में जुटी थीं, लेकिन पूरे लोकसभा क्षेत्र की गुणा गणित सेट करने में उन्हें काफी मुश्किलें आ रही थीं.

सजा पर धनंजय ने किया था हाईकोर्ट में चैलेंज

अब धनंजय सिंह के बाहर की खबर से उन्हें यह सारी मुश्किलें आसान नजर आने लगी हैं. सात साल की सजा काट रहे बाहुबली नेता व पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने काफी समय पहले ही हाईकोर्ट में अपनी सजा को चैलेंज किया था. इसी के साथ उन्होंने कोर्ट से चुनाव लड़ने की अनुमति भी मांगी थी. बीते गुरुवार को कोर्ट ने उनकी अपील याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और शनिवार की दोपहर फैसला सुना दिया है. इसमें कोर्ट ने उनकी सजा कम करने से इंकार कर दिया है.

जौनपुर में ऐसे बदलेगा चुनावी समीकरण

इससे यह तो साफ हो गया है कि वह चुनाव नहीं लड़ सकते. साथ ही कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. इससे यह भी साफ हो गया है कि जमानत पर बाहर आने के बाद वह अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी के लिए प्रचार कर सकेंगे. धनंजय सिंह की पहल पर ही बसपा ने उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में बसपा का कॉडर वोट तो उन्हें मिलेगा ही, धनंजय सिंह का खुद का इस जिले में खासा प्रभाव है. खासतौर पर जौनपुर का ठाकुर वोट शुरू से ही उनके पक्ष में रहा है. इसी प्रकार बड़ी संख्या यादव और अन्य जातियों के वोट भी उन्हें मिलते रहे हैं.

अब वह खुद बना सकेंगे पत्नी की चुनावी रणनीति

इसी प्रकार जिला पंचायत अध्यक्ष रहते श्रीकला रेड्डी ने भी जिले में अच्छी पहचान बनाई है. हालांकि धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद उनका यह वोट बैंक दरकने लगा था. यहां तक कि धनंजय सिंह का कोर वोटर भी दूसरी पार्टियों की ओर रुख करने लगा था. सूत्रों के मुताबिक धनंजय सिंह इस वोट बैंक को साधने के लिए अपने समर्थकों के जरिए जेल से कई बार लोगों को संदेश भी भेजा था. उधर, धनंजय सिंह के प्रभाव को कम करने की रणनीति के तहत बीजेपी और सपा ने भी दमदार उम्मीदवार उतारे. इन दोनों पार्टियों की ओर से लगातार धनंजय सिंह के खिलाफ शिकायतें भी दर्ज कराई गईं. आरोप लगाया गया कि वह जेल में बैठकर चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं. इसी के चलते सरकार ने उन्हें बरेली जेल स्थानांतरित करने का फैसला भी किया था.

अब जानिए कि धनंजय सिंह हैं कौन

अब धनंजय सिंह को जमानत मिलने के साथ ही उन्हें रणनीति बनाने और अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी के पक्ष में माहौल बनाने की खुली आजादी मिल गई है. जौनपुर के बाहुबली नेता धनंजय सिंह का जन्म जौनपुर के रारी गांव के एक राजपूत परिवार में 16 जुलाई 1975 को हुआ. उन्होंने तीन शादियां की. पहली पत्नी मीनू ने शादी के नौ महीने के अंदर संदिग्ध परिस्थिति में सुसाइड कर लिया था. दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह हैं. वह तलाक लेकर अलग रह रही हैं. वहीं तीसरी पत्नी जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला रेड्डी हैं. वह फिलहाल लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं. धनंजय सिंह पर हत्या का पहला आरोप इंटर की पढ़ाई के दौरान लगा.

धनंजय सिंह पर दर्ज हुए 41 मुकदमे

इसके बाद उनके खिलाफ एक के बाद एक हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी और फिरौती के कुल 41 मुकदमे दर्ज हुए. हालांकि इनमें से 31 मुकदमे खारिज हो चुके हैं. एक मुकदमे में उन्हें सात साल की सजा हुई है. वहीं बाकी नौ मामलों पर कोर्ट में सुनवाई जारी है. 1998 में एक बार अफवाह उड़ी की पुलिस ने भदोही में धनंजय सिंह का एनकाउंटर कर दिया है. यह एनकाउंटर उस समय अंजाम दिया गया, जब वह एक पेट्रोल पंप को लूटने की कोशिश कर रहे थे.

दो बार विधायक और एक बार बने सांसद

हालांकि चार महीने बाद जब धनंजय सिंह सार्वजनिक रूप से नजर आए तो सरकार ने मामले की जांच कराई और झूठे दाव करने वाले 34 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इस मामले में पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई भी हुई थी. धनंजय सिंह पहली बार साल 2002 में राटी विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए थे. इसके बाद वह मल्हनी से साल 2007 के विधानसभा चुनावों में जेडीयू के टिकट पर चुने गए. 2009 में उन्होंने बसपा ज्वाइन कर ली और फिर बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते.

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