जबलपुर। हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है, भले ही वे कानूनी रूप से विवाहित न हों। कोर्ट ने यह टिप्पणी बालाघाट के शैलेश बोपचे नामक व्यक्ति की याचिका को निरस्त करते हुए की, जिसने बालाघाट जिला अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का का रुख किया था, जिसमें उस महिला को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता देने का आदेश दिया गया था, जिसके साथ वह रहता था और जो तब से अलग थी।
महिला के हक में जिला अदालत का आदेश न्यायसंगत
बोपचे ने फैसले को इस आधार पर चुनौती दी कि जिला अदालत ने माना था कि महिला, जो उसकी पत्नी होने का दावा करती है, यह साबित करने में विफल रही कि उन्होंने मंदिर में शादी की थी। न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने कहा कि बोपचे के अधिवक्ता का एकमात्र तर्क यह है कि महिला कानूनी तौर पर उनकी पत्नी नहीं है, इसलिए सीआरपीसी की धारा-125 के तहत भरण-पोषण राशि की मांग का आवेदन विचार योग्य नहीं है। जबकि महिला के वकील ने दीर्घ अवधि तक साथ रहने के ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। लिहाजा, महिला के हक में जिला अदालत का आदेश न्यायसंगत पाकर, उसे चुनौती देने वाली याचिका निरस्त की जाती है।